एक गांव में श्यामू नाम का किसान रहा करता था। वह खेती-बाड़ी करके अपने जीवन का भरण पोषण किया करता था। श्यामू अपने खेत में उगाई गई सब्जियों को बाजार में बेचकर उसी पैसों से अपना जीवन यापन करता था। मगर खेती से कमाए गए पैसे उसके सामान्य जीवन के लिए कम पड़ते थे। इसलिए वह बहुत दुखी रहा करता था।
एक दिन जब वह अपने खेत की जुताई कर रहा था, तो उसके हल के नीचे कोई चीज टकराई। उसने खुदाई करके देखा तो वहां पर एक भद्दा सा मटका था। उसने मटके को बाहर निकाला और उसे थोड़ा साफ करके उसमें खेत में बोने वाली बीज को रख दिया। जब श्यामू खेत की जुताई करके बीज बोने के लिए उस घड़े के पास पहुंचा तो वह मटके को देखकर अचंभित रह गया। क्योंकि वह मटका पूरी तरह बीज से भर चुका था। श्यामू ने कुछ बीज को खेत में बोया और बाकी बीज को घर लेकर आया और अपनी पत्नी को सारा वाक्यन बताया। श्यामू की पत्नी को उसकी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था। उसने मटके में कुछ आटा रख दिया। देखते ही देखते पूरा मटका आटे से भर गया।
अब दोनों को विश्वास हो गया था कि यह मटका जादुई है। दोनों पति पत्नी उस मटके में अनाज को रखकर उसे ज्यादा करके बाजार में बेचने लगे। धीरे धीरे श्यामू बहुत ही ज्यादा अमीर हो गया। वह अपना एक पक्का मकान बनवा लिया। श्यामू के अचानक धनवान बनने के किस्से दूर-दूर तक फैल गए।
एक दिन उसके घर में दो चोरों ने चोरी करके उस घड़े को अपने साथ ले गए। उसमें से एक चोर ने मटके में एक सोने का सिक्का डाल दिया। देखते ही देखते मटका पूरी तरह से सोने के सिक्कों से भर गया। अब दोनों चोरों में मटका पाने के लिए झगड़ा होने लगा। दोनों चोर एक दूसरे से मटके को छीनने लगे तभी अचानक मटका दोनों के हाथ से छुटकर जमीन पर गिर गया और टूट गया। उसमें भरे हुए सोने के सिक्के भी गायब हो गए। लालच के कारण दोनों चोरों ने उस जादुई घड़े को खो दिया। उनके हाथ कुछ नहीं आया और वह अपना मन मसोसकर अपने घर के लिए चल दिए।