अमन हर साल अपने माता पिता के साथ अपने गांव जाया करता था। वहां पर अपने दादी दादा के साथ एक महीने की छुट्टी को बीता कर अपने घर आया करता था।
धीरे-धीरे अमन बड़ा हो गया। एक बार जब उसे अपने दादा दादी के घर गांव जाना था, तो उसने जिद किया कि अब वह बड़ा हो गया है। वह गांव अकेले ही जा सकता है। माता-पिता के बार-बार मना करने के बाद भी वह अपनी जिद पर अड़ा रहा। अंत में हार मान कर उसके माता पिता उसे अकेला जानने के लिए सहमत हो गए। मगर उन्हें डर था कि रास्ते में अमन को कहीं डर ना लगने लगे।
जब उसके पिताजी स्टेशन पर उसे विदा करने के लिए गए तो उन्होंने अमन के हाथ में एक चिट्ठी दी और कहा– “जब तुमको डर लगे तो यह चिट्ठी खोलकर पढ़ लेना!”
अमन ने कहा –”ठीक है मुझे इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन मैं इसे ले ले रहा हूं।”
चिट्ठी लेकर अमन अपने दादा दादी के गांव के लिए रवाना हो गया। ट्रेन में बैठे बैठे जब रात के 2:00 बज गए तब अमन को डर लगने लगा। जब भी वह आंख बंद करता तो उसे एक भयानक चेहरा नजर आता था। वह काफी डर गया। तब उसे याद आया कि उसके पिता ने उसको एक चिट्ठी दी है। उसने चिट्ठी को निकाल कर उसे पढ़ा उसमें लिखा था– “बेटा बिल्कुल भी डरो मत क्योंकि मैं इसी ट्रेन के अगले कंपार्टमेंट में बैठा हूं!”
इतना पढ़ते ही अमन के अंदर हिम्मत आ गया। उसके अंदर से डर गायब हो गया। वह आराम से अपने दादी दादा के घर पहुंच गया। रास्ते में उसे कहीं भी डर नहीं लगा ।
ठीक इसी तरह से दोस्तों जब भगवान ने हमें इस दुनिया में भेजा है तो वह हर पल हर समय हमारे साथ रहते हैं। हमें निडर होकर अपने रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिए। ईश्वर हमेशा यही कहते हैं कि तुम हमारा स्मरण करते हुए आगे बढ़ो, अगर तुम्हें कोई भी परेशानी होगी तो मैं एक पल में तुम्हारे लिए हाजिर हो जाऊंगा।