एक जंगल में एक कौवा करता था। वह अपने कालापन और बदसूरती के कारण बहुत परेशान रहा करता था। वह सोचता था कि मैं कितना बदकिस्मत हूं कि मेरा रंग एकदम काला है, मेरी आवाज एकदम भद्दी है और मुझे कोई भी पसंद नहीं करता है। यही सोच सोच कर वह दिन प्रतिदिन उदास होता जा रहा था।
एक दिन उसने एक सुंदर बत्तख को देखा। उसने बत्तख से पूछा–” बत्तख भाई! तुम इतने सफेद और सुंदर हो तुम्हारे पास सुंदर चोंच भी है। तुमको लोग पसंद करते हैं मगर मुझे कोई नहीं पसंद करता।”
यह सुनकर बत्तख ने जवाब दिया– “पहले मैं भी मानता था कि मैं ही सुंदर हूं। फिर मैंने एक दिन हरे रंग वाले और लाल चोंच वाले तोते को देखा, तब मुझे पता चला कि मुझसे सुंदर वह तोता है।”
अब कौवा तोते के पास गया और पूछा– “तुम इतने सुंदर कैसे हो? तुम्हारी सुंदरता का क्या राज है?”
उस तोते ने कहा – “अरे भैया! मैं कहां सुंदर हूं! मुझसे सुंदर तो जंगल का मोर है। उसे लोग बहुत पसंद करते हैं, उसके बहुत ही सुंदर सुंदर पंख है।”
अब कौवा मोर की तलाश में निकल पड़ा। मगर पूरे जंगल में खोजने पर उसे मोर कहीं नहीं मिला। जंगल के जानवरों ने बताया कि एक दिन एक शिकारी यहां आया और सारे सारे मोर को पकड़ कर चिड़ियाघर लेकर गया। तुम चिड़ियाघर में जाकर मोर से मिल सकते हो।
वह कौवा चिड़ियाघर पहुंचा और पिंजरे में बंद पड़े मोर से पूछा–” मोर भैया !तुम इतनी सुंदर कैसे हो?”
तब मोर ने रोते हुए जवाब दिया–” मैं अपनी सुंदरता के कारण यहां पर आज कैद हु, मैं अब जंगल में स्वतंत्र रूप से नहीं घूम सकता। इसलिए भगवान ने तुम्हें जैसा भी बनाया है, अच्छा ही बनाया है क्योंकि तुम स्वतंत्र रूप से पूरे जंगल में घूम सकते हो।”
यह बातें सुनकर कौवे को अपने आप से संतुष्टि मिल गई। इसलिए दोस्तों कहा जाता है कि दूसरे को देख कर के हमें निराश नहीं होना चाहिए। भगवान ने हमें जैसा भी बनाया है अच्छा ही बनाया है।