राधा अपने प्रेमी संग कोर्ट में जाकर शादी कर ली। उनकी शादी की भनक उसके पिता को नहीं लगी। जब वह शादी करके घर आई तो उसके पिता उससे काफी नाराज थे। राधा के पिता नहीं चाहते थे कि राधा उस लड़के से शादी करें। इसी नाराजगी के कारण उन्होंने राधा को अपने घर से निकाल दिया। अब राधा अपने पति के साथ अपने ससुराल में रहने लगी।
कुछ वर्षों पश्चात राधा के पति ने उसको तलाक दे दिया और उसे अपने घर से भी निकाल दिया। राधा अपने पिता के वह घर भी नहीं आ सकती थी, क्योंकि उसके पिता ने भी बी उसे घर से निकाल दिया था। वह एक छोटे से रेस्टोरेंट को चलाने लगी और उसी से अपना जीवन यापन करने लगी।
एक दिन की बात है पोस्टमैंन ने राधा को एक चिट्ठी लाकर दी। राधा ने उस चिट्ठी को खोलकर पढ़ना चालू किया। यह चिट्ठी उसके पिता की थी।
उसमें लिखा था “मेरी प्यारी बेटी! मैं तुम्हारी शादी से काफी नाराज था। क्योंकि मैं तुम्हें उस लड़के से बचाना चाहता था। मुझे पहले से ही पता था कि वह लड़का धोखेबाज है, तुम्हारा साथ निभा नहीं पाएगा। मेरे लिए तुम्हारी खुशी से बढ़कर इस दुनिया में कुछ भी नहीं। बेटी! जब तक तुमको यह चिट्ठी मिलेगी, तब तक मैं दुनिया को अलविदा कह चुका रहूंगा। मुझे पता है तुम काफी परेशानियों से गुजर रही हो इसलिए मैंने तुम्हारे लिए अपने बचत का सारा पैसा तुम्हारे पते पर भेज दिया है और साथ में कुछ खेतों को भी तुम्हारे नाम किया है । इससे तुम अपना आगे का जीवन अच्छे से काट सकोगी। मैं तुमसे अभी भी उतना ही प्यार करता हूं, जितना कि तुम जब छोटी थी तब मैं करता था। तुम मेरी नजर में हमेशा हमारी “राधा गुड़िया” ही रहोगी।””
यह पत्र पढ़कर राधा अपने आंसुओं को नहीं रोक पाई। वह फूट फूट कर रोने लगी। उसे पता चल गया था कि उसके पिताजी उसके भविष्य के बारे में ही सोच रहे थे। वह अपने पिता के प्यार को नहीं समझ पाई और एक झूठे प्यार के बहकावे में आकर अपनी जिंदगी को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दी। राधा ने अपने पिता के दिए हुए सारे पैसों का इस्तेमाल करके अपना एक बड़ा सा होटल खोल दिया और एक नई जिंदगी की शुरुआत करके उसे हंसी खुशी जीने लगी।