एक बार की बात है अकबर अपने नाई से अपना बाल कटवा रहे थे, तभी नाई ने अखबार से कहा-” महाराज! आपके पूर्वज स्वर्ग में ठीक से हैं कि नहीं?”

अकबर ने जवाब दिया-” कैसी बेवकूफी भरी बातें कर रहे हो? भला जिंदा रहते हुए कोई स्वर्ग में कैसे जा सकता है?”

तब उस नाई ने अकबर से कहा-” महाराज! मैं एक तांत्रिक को जानता हूं, जो लोगों को स्वर्ग में भेजता है! जहां पर लोग जाकर अपने पूर्वजों का हाल खबर लेते हैं कि वे सही हैं कि नहीं, उनको किसी चीज की कमी तो नहीं हो रही?”

अकबर ने कहा-” ठीक है! अगर ऐसी बात है तो उस तांत्रिक को मेरे दरबार में बुलाओ।”

अगले दिन नाई ने उस तांत्रिक को बुलाकर दरबार में लाया। तांत्रिक ने अकबर से कहा -” महाराज! मैं बहुत सारे लोगों को स्वर्ग में भेज चुका हूं, जो अपने पूर्वजों का हाल-चाल लेकर एक महीने में वापस आ जाते हैं। अगर एक महीने बाद नहीं वापस आए तब वह कभी नहीं वापस आते हैं।”

अकबर ने कहा -” ठीक है! मैं अपने पूर्वजों से मिलने के लिए बीरबल को स्वर्ग में भेज रहा हूं!” यह सुनकर बीरबल ने कहा-” महाराज! मुझे स्वर्ग में जाने से कोई एतराज नहीं है, मगर मैं चाहता हूं स्वर्ग में जाने से पहले मैं दस दिन की छुट्टी पर अपने घर जाऊ, उसके बाद मैं स्वर्ग चला जाऊंगा और आपके पूर्वजों का हाल खबर लेकर आऊंगा।”

दस दिन बाद बीरबल उस तांत्रिक के पास गया। तांत्रिक ने बीरबल को एक झोपड़ी में बंद करके बाहर से आग लगा दिया।

एक महीने बाद बीरबल वापस दरबार में आया। बीरबल का दाढ़ी और बाल बहुत बड़ा बड़ा हो चुका था। अकबर ने बीरबल से पूछा-” तुम स्वर्ग से हमारे पूर्वजों का हाल-चाल लेकर आए उन्हें कोई तकलीफ तो नहीं है?”

बीरबल ने कहा-” नहीं महाराज! स्वर्ग में कोई नाई नहीं रहते हैं इसलिए वहां पर मेरे बाल और दाढ़ी बड़ा हो गया। आपके पूर्वजों का भी यही हाल है, वे चाहते हैं कि आप अपने नाई को उनके पास भेज दीजिए।”

यह सुनकर अकबर का नाई घबरा गया। उसने कहा-” महाराज मुझे नहीं मरना है! मैंने यह सब आपके एक मंत्री के कहने पर किया क्युकी वह मंत्री बीरबल से बहुत ही जलता है और बीरबल को मरवाना चाहता था। इसीलिए यह सब ढोंग रचा गया।

नाई की बात सुनकर अकबर बहुत ही ज्यादा क्रोधित हुआ और अपने सैनिकों को आदेश देकर मंत्री, नाई और तांत्रिक को कैद कर लिया।

अकबर ने बीरबल से पूछा-” आखिर तुम बच कैसे गए?”

तब बीरबल ने कहा-” महाराज मैंने दस दिन का मोहलत लिया था उससे मैंने उस झोपड़ी से अपने घर तक एक सुरंग बनवा दी। जब झोपड़ी में आग लगाई तब मैं सुरंग के रास्ते अपने घर चला गया था।”

अकबर ने बीरबल की बुद्धि की प्रशंसा की और उसे बहुत सारा इनाम दिया।

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