एक बार की बात है एक बेरोजगार लड़का बहुत ही परेशान होकर इधर-उधर घूम रहा था। वह अपने जीवन में सफल नहीं हो पा रहा था। जिसके कारण वह बहुत ही परेशान हो गया था।
एक बार वह परेशान और उदास होकर एक रास्ते से गुजर रहा था। तभी एक साधु ने उसे देखा और उस लड़के से पूछा-” बेटा तुम क्यों परेशान हो?”
तब उस बेरोजगार लड़के ने कहा-” महाराज! मैं सोने का कारोबारी बनना चाहता हूं मगर मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मैं अपने इस सपने को कैसे साकार करूं? जब भी मैं कोशिश करता हूं असफल हों जाता हूं।”
तब उस साधु ने कहा-” चिंता मत करो बेटा! मेरे पास बैठो, मैं तुमको दो चीजें दे रहा हूं! जिसकी मदद से तुम एक अच्छे सोना व्यापारी बन जाओगे।”
साधु ने कहा-” बेटा अपने दोनो हाथ फैलाओ!” लड़के ने अपना हाथ फैलाया।
साधु ने उस लड़के की एक हाथ पर अपना हाथ रख कर कहा-” बेटा यह ‘ समय ‘ है इसे अपनी मुट्ठी में बंद कर के रखो और इसे अपने हाथ से कभी मत निकलने देना। साधु ने लड़के के दूसरे हाथ पर अपना हाथ रख कर कहा-” बेटा यह धैर्य है, जब तुम्हें लगे कि तुम्हारे किए हुए कार्य सफल नहीं हो रहे हैं तब तुम धैर्य से अपना कार्य लेना। देखना तुम इन दो सफलता के मंत्रों को लेकर अपने जीवन में बहुत ही सफल व्यापारी बन जाओगे।”
अब उस लड़के के समझ में अच्छे से आ गया। वह अपने घर आया और अपने समय का सही सदुपयोग करके सोने का कारोबार चालू किया। देखते ही देखते वह एक बहुत ही बड़ा सोने का व्यापारी बन गया। जब भी उसे अपने व्यापार में घाटा होता तब वह अपने धैर्य से काम लेता था। जिससे वह अपने व्यापार में हुए घाटे को भी मुनाफे में तब्दील कर देता था। इस तरह से साधु द्वारा कही गई बातें बिल्कुल सही निकली “समय और धैर्य को अपने सफलता की कुंजी बनाकर आप इस दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकते हैं।”