बहुत पुरानी बात है… एक नगर में एक बहुत ही लालची राजा रहा करता था। उसने अपने सभी पड़ोसी राज्यों पर आक्रमण करके उन्हें पराजित कर दिया था और उनका सारा राज्य हड़प लिया था। लेकिन सिर्फ एक राजा था बचा था, जिसका नाम मानसिंह था। जिसे वह लालची राजा पराजित नहीं कर पाया था। राजा मानसिंह को बंदी बनाने एवं उनके राज्य को हड़पने के लिए वह लालची राजा एक दिन राजा मानसिंह को अपने दरबार में भोजन के लिए आमंत्रित किया। राजा मानसिंह लालची राजा के इस प्रस्ताव को मान गए। जैसे ही राजा मानसिंह उस के दरबार में आए लालची राजा ने सैनिकों को आदेश देकर राजा मानसिंह को बंदी बना लिया।

लालची राजा मानसिंह को बंदी बनाकर बहुत खुश था क्योंकि उसने अपने पड़ोस के सारे राजाओं का राज्य को हड़प लिया था। वह अपनी खुशी से फूला नहीं समा रहा था। वह अपने ऊपर अत्यधिक गर्व महसूस कर रहा था। वह लालची राजा अपने मंत्रियों से कह रहा था –”देखा तुमने !! मैंने अपने सारे शत्रु को खत्म कर दिया। अब मेरा कोई शत्रु नहीं बचा है! अब मुझे किसी का डर नहीं है!”

तभी अचानक एक सिपाही दौड़ता हुआ आया और उस लालची राजा से बोला –”महाराज राजा मानसिंह ने हमारे राज्य पर आक्रमण कर दिया है और उनकी सेनाओं ने हमें चारों तरफ से घेर लिया है! जिस व्यक्ति को हमने बंधक बनाया है वह राजा मानसिंह का हमशक्ल है!”

यह सुनकर लालची राजा सदमे में आ गया। दोनो के बीच बहुत ही भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में राजा मानसिंह विजई हुए और उन्होंने दूसरे सारे राजाओं के राज्य को मुक्त कर दिया, जिसको उस लालची राजा ने हड़प लिया था।

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