एक नगर में मोहन और रंगीला नाम की दो दोस्त रहते थे। मोहन एक बार अपने माता पिता के साथ तीर्थ यात्रा करने का विचार बनाया। उसके पास 1000 सोने के सिक्के भी थे। वह उन सिक्कों को एक मटके में भरकर ऊपर से अनाज डाल दिया और अपने मित्र रंगीला के घर लेकर गया। उसने अपने मित्र रंगीला से कहा- “मित्र! यह मेरा मटका तुम अपने घर रख लो। मैं तीर्थ यात्रा पर जा रहा हूं वापस आकर अपना मटका ले लूंगा।”

रंगीला ने कहा-” ठीक है ! जैसी तुम्हारी मर्जी।”

मोहन रंगीला को मटका देकर अपने तीर्थ यात्रा पर निकल गया। कुछ समय बाद जब मोहन नहीं आया, तब रंगीला के मन में उस मटके को लेकर एक विचार आया। उसने मटके को खाली कर दिया और उस उसमें से 1000 सोने के सिक्के निकाल लिए और उसकी जगह बाजार से नया अनाज लाकर भर दिया।

कुछ महीने बाद जब मोहन यात्रा से वापस आया तब उसने अपने मित्र रंगीला से मटका मांगा। रंगीला ने मटका दे दिया मगर उसमें सोने के सिक्के ना पाकर मोहन ने रंगीला से अपने सोने के सिक्के मांगा। रंगीला एकदम अनजान होकर बोला-” मुझे नहीं पता कि इस मटके में सोने के सिक्के थे। तुम मुझे अनाज से भरा मटका दिए थे। मैंने तुमको वापस कर दिया।”

दोनों में काफी बहस हुई फिर वे एक न्यायाधीश के पास गए। न्यायाधीश ने रंगीला से कहा- “मोहन तो बहुत समय पहले तीर्थ यात्रा पर गया था, मगर यह अनाज तो अभी नया है।”

अभी भी रंगीला उनको सोने के सिक्के वापस करने के लिए तैयार नहीं हुआ। तब न्यायाधीश ने कहा-” अब मैं तुम्हें 2000 सोने के सिक्के वापस करने का आदेश दे रहा हूं।”

यह सुनकर रंगीला ने कहा-” मगर उस मटके में तो सिर्फ 1000 सोने के सिक्के थे।”

यह सुनते ही न्यायाधीश ने कहा- “अगर तुम चोरी ना किए होते तो तुमको कैसे पता रहता कि उसमें 1000 सोने के सिक्के थे।”

रंगीला रंगे हाथ पकड़ा गया। उसने अपने मित्र को सोने के सिक्के वापस लौटा दिए और उससे माफी भी मांगी।

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