बहुत पुरानी बात है एक नगर में नहर की खुदाई का काम चल रहा था। कुछ अंदर तक जमीन मे खुदाई करने के बाद अचानक मजदूरों को जमीन के नीचे कुछ ठोस वस्तु के होने का आभास हुआ। उन्होंने जमीन में और अंदर तक खुदाई किया। खुदाई करने के बाद उन्हें अंदर एक भगवान शिव की मूर्ति मिली। मूर्ति की खबर पूरे राज्य में हवा की तरह फैल गई। दूर दूर से लोग उस भगवान शिव की मूर्ति को देखने आने लगे।

जब यह खबर उस राज्य के राजा को लगी, तब वह अपने मंत्रियों के साथ उस मूर्ति को देखने के लिए खुदाई वाले जगह पर पहुंचा। राजा ने भगवान शिव की भव्य एवं सुंदर मूर्ति को देख कर वहां पर एक बड़ा सा शिव जी का मंदिर बनवाने का आदेश दिया, साथ ही मंदिर के चारों तरफ बगीचा लगाने का भी आदेश दिया।

कुछ महीने बाद मंदिर और बगीचे का काम पूरा हो गया । राजा मंदिर और बगीचे की निगरानी करने के लिए उस मंदिर परिसर में आया। मंदिर को देखकर राजा ने कहा-” मंदिर तो बहुत सुंदर बना है! जितनी मैं कल्पना कर रहा था , उससे भी ज्यादा सुंदर मंदिर बना है ।”

मंदिर को देखने के बाद राजा बगीचे में गया। बगीचे में घूमते समय राजा ने अपने मंत्री से कहा-” इस बगीचे में कुछ कमी लग रही है!”

इस पर मंत्री ने राजा से कहा- “महाराज मैंने इस बगीचे में अनेक प्रकार के फल एवं फूल वाले पौधे लगवाए हैं। यहां श्रद्धालुओं के लिए किसी भी चीज की कमी नहीं है।”

तभी राजा के एक दूसरे मंत्री ने कहा-” महाराज! मैं बता सकता हूं कि इस बगीचे में किस चीज की कमी है!”

राजा ने कहा -” हां ज़रूर ! बताओ क्या कमी रह गई है!”

तब उस मंत्री ने कहा-” महाराज इस बगीचे में धतूरे के पेड़ की कमी है, जो भगवान शिव का प्राथमिक चढ़ावा होता है। वह इस बगीचे में है ही नहीं!”

राजा ने भी कहा-” हां ! यह बात बिल्कुल सही है!”

राजा ने अपने मंत्री को जल्द से जल्द बगीचे में धतूरे के पेड़ लगवाने के आदेश दिए।

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