एक नगर में सुरेश नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत ही गरीब था, मगर उसे बहुत ही सुंदर सुंदर चित्र बनाना आता था। उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह कागज और पेंसिल खरीद सके, जिस पर वह चित्र बना सके। वह लकड़ी की सहायता से जमीन पर ही सुंदर सुंदर चित्र बनाया करता था।
एक दिन की बात है सुरेश जब जमीन पर चित्र बना रहा था तभी एक बूढ़ी औरत आई और उसने सुरेश को एक पेंसिल दिया और कहा- “बेटा इस पेंसिल का उपयोग सिर्फ गरीबों और असहायों की मदद करने के लिए करना।” यह कहकर वह बूढ़ी औरत वहां से गायब हो गई।
उस पेंसिल से सुरेश ने एक सेब का चित्र बनाया जैसे ही सुरेश ने सेब का चित्र बनाया वह सचमुच एक सेब में तब्दील हो गया। अब सुरेश को समझ में आ गया था कि यह पेंसिल चमत्कारी है। सुरेश ने सबसे पहले अपने और अपने परिवार के लिए खूब अच्छे-अच्छे कपड़े और भोजन को बनाया जिन्हें वह पहन कर और खा कर बहुत खुश हुआ।
अब सुरेश ने गरीबों और असहाय के लिए उस पेंसिल से भोजन और कपड़े का चित्र बनाता और वह सचमुच भोजन और कपड़े में तब्दील हो जाया करता था। इस तरह से सुरेश गरीब और असहाय लोगों की मदद करने लगा।
कुछ समय बाद इस बात की खबर उस राज्य के राजा को लगी तो उसने सुरेश को अपने दरबार में बुलाया और कहा” मेरी बागवानी के लिए एक सोने का पेड़ बनाओ!”
सुरेश ने कहा-” महाराज आप तो बहुत ही अमीर हैं यह पेंसिल सिर्फ गरीब और असहाय की मदद करने के लिए मुझे मिली है आप जैसे अमीर लोगों की मदद करने के लिए यह पेंसिल नहीं है।”
यह सुनकर राजा को बहुत ही ज्यादा गुस्सा आया उसने सुरेश से पेंसिल छीन कर अपने चित्रकार से सोने के पेड़ का चित्र बनवाया, मगर वह सोने के पेड़ में तब्दील नहीं हुआ। यह देखकर राजा ने सुरेश को उसकी पेंसिल वापस दे दी और उससे कहा-” अगर तुम सोने के पेड़ का चित्र नहीं बनाओगे तो मैं तुम्हें मौत की सजा दे दूंगा।”
यह सुनते ही सुरेश ने उस बूढ़ी औरत का चित्र बनाया जिसने उसे पेंसिल दिया था। चित्र बनाते ही वह बूढ़ी औरत वहां प्रकट हो गई। बूढ़ी औरत ने राजा को समझाया “पेंसिल सिर्फ गरीबों की मदद के लिए काम करती है आप जैसे अमीर और धनी लोगों के लिए यह पेंसिल किसी काम की नहीं है! इसलिए आप सुरेश को जाने दीजिए और इसे अपना काम करने दीजिए।”
यह सुनकर राजा को विश्वास हो गया और उसने अपनी गलती के लिए सुरेश और उस बूढ़ी औरत से माफी मांगी। राजा ने सुरेश को सम्मानित करके उसे अपने घर भेज दिया।