एक गांव में वीरू नाम का लड़का रहता था। वीरू बहुत ही गरीब घर से संबंध रखता था। उसके पिता लकड़ी का काम करते थे। दिनभर वह अपने पिता के काम में हाथ बंटाता था और रात होने पर कोई प्रकाश ना होने पर वह पढ़ नहीं पाता था। जिससे वह अपने स्कूल के काम को पूरा नहीं कर पाता था।
एक दिन स्कूल के मास्टर जी ने वीरू का काम ना पूरा होने के कारण उसे बहुत ही डांटा और कहा-” अगर तुम काम पूरा करके नहीं लाओगे तब मैं तुम को स्कूल से भी निकाल दूंगा!”
यह सुनकर वीरू रोने लगा और रोते हुए अपने घर आने लगा। रास्ते में उसे एक बूढ़ा व्यक्ति मिला। बूढ़े व्यक्ति ने वीरू से उसके रोने का कारण पूछा?
तब वीरू ने कहा-” हमारे घर में एक ही मोमबत्ती है जिससे उजाला करके मेरी मां खाना बनाती है और कोई मोमबत्ती ना होने के कारण मैं अपनी पढ़ाई नहीं कर पाता हूं! जिससे मुझे मास्टर जी हमेशा डांटते हैं।” यह बोलकर वीरू और जोर जोर से रोने लगा।
बूढ़े व्यक्ति ने अपने झोले से एक मोमबत्ती निकालकर वीरू को दिया और कहा-” यह चमत्कारी मोमबत्ती है इसके जलने से जो मोम पिघल कर नीचे गिरेगा उसे तुम अपने जैसे गरीब बच्चों को दे देना, जिससे वह भी अपनी पढ़ाई कर सकें! अगर तुम ऐसा कर सकोगे तो यह चमत्कारी मोमबत्ती कभी खत्म नहीं होगी और तुम हमेशा इसके प्रकाश का फायदा ले पाओगे!”
वीर उस मोमबत्ती को अपने घर ले गया और जैसे उस बूढ़े ने वीरू को बताया था ठीक उसी प्रकार से वह गरीब लड़कों की मदद करने लगा। अब उसकी मोमबत्ती खत्म नहीं होती थी। वह खूब पढ़ाई करके अपनी कक्षा में सबसे ज्यादा अंको से उत्तीर्ण हुए। उसके मास्टर जी उसकी सफलता से बहुत खुश हुए और उसे भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।