एक नगर में दो दोस्त रहते थे। वह बहुत ही गरीब थे। पैसे कमाने के लिए वे दोनों शहर गए। वहां जाकर दोनों ने खूब लगन और मेहनत से काम करके कुछ धन इकट्ठा किया।
घर पर आकर दोनों ने उन पैसों से अपना अलग-अलग व्यवसाय चालू कर दिया। अब दोनों का व्यवसाय चल पड़ा। दोनों अच्छी खासी मुनाफे को कमाने लगे। धीरे-धीरे दोनों मित्र काफी अमीर हो गए।
एक दिन ऐसा आया जब पूरे शहर में मंदी आ गई। ऐसे में पहले दोस्त को बहुत ही घाटा हुआ। उसका सारा व्यापार चौपट होने लगा। इसको देखते देखकर वह बहुत ही परेशान हो गया। इसके विपरित इस मंदी के दौर में दूसरे दोस्त का व्यापार अच्छा खासा चल रहा था और उसे किसी प्रकार का घाटा नहीं हो रहा था। यह देखते हुए पहले दोस्त ने अपने दूसरे दोस्त से मिलने का उपाय बनाया।
वह अपने दूसरे दोस्त के पास गया और कहा-” इस मंदी के दौर में भी तुम्हारी सफलता का क्या राज है?”
दूसरे दोस्त ने कहा-” मैं अपनी गलतियों से सीखता हूं! जो भी कोई समस्या होती है, उससे मैं सीख लेता हूं और आगे जब भी उस तरह की समस्या आती है तब मैं उनको सही तरह से निपटा देता हूं। मैं अपनी गलतियों के साथ साथ दूसरों की गलतियों से भी सीख लेता हूं और उनका समाधान पहले से ही खोज कर रखता हूं। इस तरह से मुझे व्यापार में किसी तरह की दिक्कत नहीं होती है।”
अब पहले दोस्त को समझ में आ गया था। अपनी गलतियों से सीख कर ही वह अपने व्यापार को आगे बढ़ा सकता है। अब पहले दोस्त ने भी ऐसा ही किया धीरे-धीरे उसको व्यापार में मुनाफा होने लगा और दोनों दोस्त एक दूसरे की मदद करके एक दूसरे का व्यापार अच्छे से चलाने में मदद करने लगे।
इस कहानी से हमे यही सीख मिलती है कि हमें अपनी गलतियों से हमेशा सीखते रहना चाहिए और इस गलती का समाधान खोजना चाहिए। गलती भविष्य में ना हो इसका कोई एक अच्छा उपाय बनाना चाहिए।