एक आदमी जिसका नाम जतिन था | वो तीन साल से एक ही जहाज पर काम कर रहा था।एक दिन जतिन रात मे नशे मे धुत हो गया। ऐसा पहली बार हुआ था। कैप्टन ने इस घटना को रजिस्टर मे दर्ज किया, ” जतिन आज रात नशे मे धुत था।”
जतिन ने यह बात पढ़ ली। जतिन जानता था कि इस एक बात से उसकी नौकरी पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। इसलिए वह कैप्टन के पास गया, और फिर माफी मांगी और कैप्टन से कहा कि उसने जो कुछ भी लिखा है, उसमे आप ये और जोड़ दीजिये कि ऐसा तीन साल मे पहली बार हूआ है, क्योँकि पुरी सच्चाई यही है।
कैप्टन ने उसकी बात से मना कर दिया और कहा,-” कि मैने जो कुछ भी रजिस्टर मे लिखा है वह सच है।”
कुछ दिनों बाद जतिन की रजिस्टर मे लिखने की बारी आयी।फिर उसने रजिस्टर मे लिखा- “आज की रात कैप्टन ने शराब नही पी है।” कैप्टन ने इसे पढ़ा और जतिन से कहा कि इस बात को आप या तो बदल दो अथवा पूरी बात लिखने के लिए आगे भी कुछ और लिखो, क्योँकि जो लिखा गया था, उससे पता चलता था कि कैप्टन हर रोज रात को शराब पीता था। जतिन ने कैप्टन से कहा कि उसने जो कुछ भी रजिस्टर मे लिख दिया है, वही सच है।
दोनो बाते सही है, लेकिन दोनो से जो संदेश मिलता है, वह झूठ के सामान है।
दोस्तों इस काहनी से हमें दो बातें सीखने को मिलती है , पहली – हमें कभी भी इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए जो सही होते हुए भी जिससे गलत सन्देश मिले और दूसरी किसी बात को सुनकर उस पर अपनी सोच बनाने या कोई प्रतिक्रिया देने से पहले एक बार जर्रूर सोच लेना चाहिए कि कहीं हमे इस बात का कोई और पहलु तो नहीं है। अगर संक्षेप में कहें तो हमे आधा सत्य से बचना चाहिए।