यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है , आज से २० साल पहले बिहार मे सोहन नाम का एक आदमी अपने परिवार के साथ रहता था | उसकी पत्नी हमेशा बीमार रहती थी , जिसकी वजह से वह हमेशा परेशान रहता था | उसका एक बीटा भी था , वह अपने परिवार वालो से बहुत ही ज्यादा प्यार करता था | बात थंड के मौसम की है , उसकी पत्नी पहले की तरह बीमार है और वह मजे से घूम रहा था | एक दिन एक डॉक्टर साहब आये और बोले की तुम्हरी पत्नी को एक खतरनाक बीमारी है और वह अब ठीक नहीं हो सकती है | यह सुनकर उसका पति एक डैम दर सा गया और बोला अब क्या होगा | वह बहुत ही परेशान था , उसको रात मे नींद नहीं आ रही थी , उसने एक प्लान बनाया और अपने बच्चे को लेकर रात को घर छोड़ कर भाग गया | उसकी पत्नी जब उठी तो अपने पति और बच्चे को न पाकर चिलाने लगी और खूब रोई | वह हर रोज अपने पति और बच्चे का इंतज़ार करती थी , लेकिन वो दोनों किसी और सहर मे चले गए थे |
कुछ टाइम बाद उसकी पत्नी की तबियत और खराब होने लगी और एक दिन वह अपनी जिन्दगी से हार गयी और उसकी मौत हो गयी | उसके मोहले वालो ने मिलकर उसका क्रिया – करम किया | जब उसके पति को पता चला की उसकी पत्नी मर गयी तो वह गावो वापस आया | उसको देख कर सब लोग गलिया दे रहे थे और कायर- कायर कह रहे थे , वह कुछ भी नहीं बोला और सीधा अपने घर के अंदर चला गया | उसको पहली बार यह महसूस हुवा की वह कायर है , उसने अपनी पत्नी के साथ धोखा किया है |
पूरी रात उसको नींद नहीं आयी , सुबह वह रेलवे स्टेशन की पटरियों पर घूम रहा था की उसने देखा एक महिला ट्रेन से कट जाने वाली थी | वह यह सब देख रहा था और उसका लड़का भी वह पर आया और बोला पापा उसको बचावो फिर भी उसकी कायरता की वजह से वह , वहा जा नहीं पा रहा था | फिर उसने हिम्मत कर के ट्रेन के पास गया और उसको धकेल दिया , वह औरत तो बच गयी लेकिन सोहन का दोनों पैर कट चूका था और वह खून से लथपथ था | उसने अपने बच्चे को बुलया और बोला अब सब को बता देना मे कायर नहीं हु , मे तुम्हारी माँ को नहीं बचा सका लेकिन किसी और को बचा दिया | यह कह कर उसने अंतिम सास ली | तो दोस्तों जीवन मे हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए |