बात बहुत पुरानी है । सोनपुर गांव में दो भाई रहा करते थे। बड़ा भाई काफी अमीर एवम् धनवान था। उसके जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं रहा करता था, क्योंकि वह बहुत ही ज्यादा संपन्न था। उसके परिवार वाले भी उससे बहुत ज्यादा खुश रहा करते थे। छोटा भाई अत्यंत गरीब था। उसके पास खाने के पैसे नहीं रहा करते थे, मेहनत मजदूरी करके किसी तरह वह अपने घर का गुजारा कर रहा था। एक दिन काम ना मिलने की वजह से वह बाजार से अनाज नहीं ला पाया तो उसने सोचा कि बड़े भाई से मदद क्यों न मांग लिया जाए। यही सोचकर वह बड़े भाई के यहां मदद के लिए गया अगर बड़े भाई ने उसे डांट कर भगा दिया। दुखी होकर छोटा भाई घर आ रहा था। रास्ते में उसे एक बूढ़ा आदमी मिला|

उस बूढ़े आदमी ने उससे पूछा – बेटा तुम बड़े दुखी दिख रहे हो क्या बात है?
छोटे भाई ने सारी बात बताई यह सारी बातें सुनकर बूढ़ा व्यक्ति उसे अपने घर ले गया और उसको एक पत्थर की चक्की दिया और बोला – चक्की को घुमाकर जो मांगोगे तो यह चक्की उस सामान को तुम्हारे सामने लाकर रख देगा। छोटे भाई ने उस चक्की को घर पर ले जाकर उसे खूब खाने पीने का सामान निकाला। देखते ही देखते छोटा भाई बड़े भाई से भी अमीर हो गया । वह रोजाना उस चक्की को घुमा कर बहुत सारे अनाज निकालता और उसे बाजार में बेचकर खूब सारी अशरफिया कमाया करता था। उसकी उन्नति को देखकर बड़े भाई के मन में लालच उत्पन्न होने लगी। उससे चक्की को चुराकर के खुद अनाज निकाल कर बाजार में बेचने की योजना बनाई। मगर उस जादुई चक्की ने बड़े भाई के लालच को समझ लिया था। इसलिए चक्की ने थोड़ा भी आवाज नहीं निकाला। अनाज को ना निकलते देख बड़े भाई को बहुत जोर का गुस्सा आया और उसने चक्की को तोड़ दिया और सोचा अब चक्की टूट गई तो छोटा भाई गरीब फिर से और गरीब हो जाएगा । मगर छोटे भाई ने अपनी लगन और निष्ठा से काम किया और बिना चक्की की मदद से वह बहुत ही कम समय में बहुत ही ज्यादा धनवान व्यक्ति बन गया।

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