sauteli mother

 

मदनपुर गाँव में रूपा नाम की लड़की रहती थी वह अपने सौतेली माँ और बहन के साथ रहती थी , रूपा देखने में बहुत सुन्दर थी| उसका स्वभाव बहुत ही अच्छा था वह हमेशा मुस्कुराती रहती थी| गाँव के लोग भी उससे बहुत प्रेम करते थे, लेकिन उसकी सौतेली माँ और बहन उससे बहुत काम कराते थे रूपा की सौतेली माँ उससे चाय बनाने को कहती है तभी रूपा के पिता बोलते है अभी तो इतना काम किया है बेचारी ने थोड़ा आराम तो करने दो रूपा की सौतेली माँ  बोलती है पूरे दिन तो आराम कर रही थी| महारानी और खा रही है, और क्या काम कर रही है तभी रूपा के पिता जी बोलते है कहा खा रही है बेचारी पूरे दिन काम तो कर थी गधे की तरह बेटी ,रूपा बोलती है अगर माँ को चाय चाहिए तो मैं अभी बना कर देती हूँ ,ये सब देख कर उसके पिता सोचते है ये सब मेरी वजह से हुआ है अगर मैं दूसरी शादी करके नहीं लाता तो ये सब मेरी बेटी को सहना नहीं पड़ता | क्या सोच कर तेरे लिए दूसरी माँ लाया सारी की सारी गलती मेरी है | कुछ समय बाद रूपा की हालत देखकर उसके पिता को बहुत चिंता होने लगी और धीरे धीरे उनका स्वास्थ भी बिगड़ने लगा अब तो रुपा के पास बहुत काम हो गए थे| वह घर का सारा काम करके अपने पिता की भी सेवा किया करती थी |एक दिन रूपा के पिता रूपा को अकेले बुलाते है और कहते है बेटा मेरा जाने का समय हो गया है रूपा बेटा जैसे ही मेरी आँखे बंद हो जाएँगी तुम्हे और दुःख मिलेंगे तुम्हारी सौतेली माँ और बहन तुम्हे बहुत दुःख देंगे रूपा बोलती है आप चुप रहिये पिता जी आप कुछ मत बोलिये, बेटा मैं जाने से पहले ये बताना चाहता हूँ, इस राह पर चलने के लिए तुम्हे बहुत दुःख देखने पड़ेंगे लेकिन जो इस राह पर पूरे निष्ठा और ईमानदारी से काम करना है वही एक दिन विजई जरूर होता है ,बेटा और एक न एक दिन तुम्हारी जीत जरूर होगी ,इतना कहते है रूपा के पिता अपनी आँखों बंद कर लेते है रूपा का रो रो कर बुरा हाल हुआ समय बीतता चला गया रूपा के जीवन में दुःख काम ही नहीं हुए | उसकी सौतेली माँ और बहन ने उससे बहुत काम करते थे |

उन लोगो का अत्याचार इतना बढ़ गया थी कि बेचारी रूपा को सड़ा हुआ खाना खाने को देते थे , रूपा के बोलने पर उसकी माँ कहती है खाना है तो खाओ नहीं तो फेक दो इतना कह कर दोनों सोने चले जाते है रूपा बिना कुछ खाये वो भी सो जाती है , एक दिन रूपा की सौतेली माँ रूपा से बोलती है सुन रूपा कल तेरी बहन को लड़के वाले देखने आ रहे है  वो भी जमींदार का लड़का, क्या मेरी बहन को लड़के वाले देखने आ रहे है तभी रूपा की माँ बोलती है -ज्यादा खुश होने की जरुरत नहीं है तुम घर को चका -चक साफ़ कर देना एक भी गंदगी घर में नहीं होनी चाहिए | चलो लग जाओ अपने काम पर , अगले दिन जमींदार अपने लड़के को लेकर लड़की देखने आता है तभी सौतेली माँ अपनी बेटी की तारीफ करने लगती है मेरी बेटी बहुत गुणवान है वह घर का सारा काम करती है इतना ही नहीं वह आज आप लोगो के लिए अपने हाथो से खाना बनाई है जमींदार बोलता है मेरा भी अकेला लड़का है मुझे भी ऐसी लड़की चाहिए जो घर का सारा काम जानती हो, अच्छी ही सुशील हो और क्या चाहिए ,

कुछ देर बाद रूपा सबके लिए मिठाई और पानी ले कर आती है तभी जमींदार बोलता है  ये कौन है, सौतेली माँ बोलती है ये तो मेरी कामवाली है , जमींदार का लड़का सोचता है ये काम वाली लड़की है देखने में तो नहीं लगती जरूर इसमें कई न कोई गोलमाल है उसी रात जमींदार के यह से खबर आती है कि उनको ये रिस्ता मंजूर नहीं है सौतेली माँ बोलती है तेरे अंदर इतनी जलन है की अपनी बहन का घर बसने से पहले उजाड़ दिया रूपा कहती है- मैंने क्या किया है माँ तभी उसकी सौतेली बहन रोते हुए बोलती है कौन तुझे कहा था की उनके सामने पानी लाने को रूपा बोलती है- मुझे माँ ने कहा था तभी मै पानी लेकर आयी थी सौतेली माँ कहती है मुँह कौन कहा था दिखाने के लिए बदमाश लड़की 

सौतेली बेटी बोलती है -इसको अपने सूरत पर बहुत घमड़ है न माँ इसका बाल काटकर इसको गंजा बना दो , दोनों ने मिल कर रूपा का सारा बाल काट दिया और उसे गंजा बना दिया |और बोलती है अब गंजा होकर घूम अब तेरे तरफ कोई आँख उठाकर भी नहीं देखेगा , उसकी सौतेली बहन बहुत खुश होती है और बोलती है अब मै तुझसे सुन्दर दिखूंगी क्योकि तेरे सिर पर बाल नहीं है और देख मेरे सिर पर कितने घने बाल है अब मेरी शादी जल्दी हो जाएगी क्योकि अब मै तेरे से भी सुन्दर हूँ , बेचारी रुपा रोते हुए वह से चली जाती है एक दिन रूपा एक तालाब के किनारे पानी भरने गयी हुई थी तभी वहाँ जमींदार का लड़का आ जाता है और बोलता है अरे तुम तो वही हो न रूपा कहती है -हाँ, अरे ये तुमने क्या किया तुम्हारा सारा बाल कहा गया ,इतना ही पूछते ही रूपा रोने लगती है जमीदार का बेटा पूछता की तुम्हारी ये हालत किसने किया तुम डरो मत तुम मुझे सारी बात बता सकती हो रूपा ने उसे सारी बात बताई , फिर जमींदार का लड़का उसे एक साधु बाबा के पास ले गया उसने सारी परेशानी उस साधु बाबा को बताई साधु बाबा ने रूपा से कहा अब तुम्हारे जीवन में दुःख के दिन खत्म हो जायेंगे | तभी साधु बाबा ने अपने जादू से रूपा को एक तेल दिया और बोला तुम इसे नहाने से पहले अपने सिर में ये लगा लेना और सूरज निकलने से पहले अपने बालो को धो लेना| बाबा ने एक जादुई डंडा भी दिया और बोला अगर कोई तुम्हे परेशान करेगा तो जादुई डंडा उसको सबक देगा , वो दो उस तेल और जादुई डंडे को लेकर वहाँ से चले जाते है , और बाबा के बताये हुए अनुसार वो वैसा करने लगती है फिर एक दिन बाद रूपा के सारे बाल फिर से आ जाते है , ये सब देखकर उन दोनों को बहुत जलन हुई एक दिन उसकी सौतेली माँ ने उसके खाने में ज़हर मिला दिया, और जब रूपा खाना खाने को आती है तो यह देखकर शॉक हो जाती है और कहती है आज इतना स्वादिस्ट खाना तभी उसकी माँ कहती है बेटी मैं अपनी गलती का प्रायश्चित करना चाहती हूँ |  मैंने तुझे बहुत दुःख दिए है  इतना कहते ही तभी साधु बाबा का दिया हुआ डंडा उन दोनों कि बहुत पिटाई करता है , वे दोनों अपनी किये हुए गलती की माफ़ी मांगती है और बोलती है आज के बाद हम दोनों तुम्हे परेशान नहीं करेंगे रूपा बेटी मुझे माफ़ कर दे , फिर रूपा ने उन दोनों को माफ़ करके उनको गले लगाया | और कुछ दिन बाद रूपा की शादी जमींदार के लड़के से हो जाती है रूपा ख़ुशी ख़ुशी अपने ससुराल में रहती है|

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