पितृ पक्ष में क्या खाये और क्या न खाये तो आइये जानते है …
हिंदी पंचाग के अनुसार पितृ पक्ष 29 सितम्बर को शुरू होगा और 14 अक्टूबर को समाप्त होगा धर्म शास्त्र में यह बताया गया है पितृ पक्ष के दिनों में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं अगर इसका पालन नहीं किया गया तो पितृ नाराज हो जाते है | जिसका नकारात्मक परिणाम घर के सदस्यों को सहन करना पड़ता है , पितृ पक्ष के दिनों में खाने में बहुत सी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए नहीं तो कुंडली में पितृ दोष बना रहता है और घर में हमेशा अशांति बनी रहती है साथ ही साथ तरक्की में रुकावटें आने लगती है और कई कष्टों दुखो का सामना करना पड़ता है | पितृ पक्ष के अंतिम समापन के दिन कुल 11 ब्राह्मणो को सात्विक भोजन करना चाहिए इससे पितर खुश होते है , ब्राह्मणो के भोजन करने के बाद घर के सभी सदस्य भोजन कर सकते है |
तो आइये जानते है पितृ पक्ष के दिनों में क्या नहीं खाना चाहिये
1- सनातन धर्म के अनुसार पितृ पक्ष के दिनों लहसुन और प्याज से बना हुआ भोजन नहीं करना चाहिये क्योकि इसे तामसिक भोजन मना गया है |
2- पितृ पक्ष के दिनों में जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए जैसे – आलू , मूली , गाजर आदि का सेवन न करे और न ही ब्रह्मांणो को भूल के ये भोजन कराये , पितृ को आप ये भोजन भोग में लगा सकते है |
3- माँस , मछली , अंडा , शराब का सेवन न करे पितृ पक्ष के दिनों में घर का बना खाना खाये बाहर का खाना बिलकुल भी न खाये और न ही घर पर लाये माना जाता है बाहर का खाना शुद्ध नहीं होता है और न ही बर्तन साफ़ होते है |
4- पितृ पक्ष के दौरान चना या चने से बनी हुई चीजों का सेवन न करे इसके उपयोग से इस अशुभ मना जाता है , तो भूल कर इसका उपयोग न करे |
5- मान्यताओ के अनुसार पितृ पक्ष के दिनों में नए कपडे न पहने |
6- पितृ पक्ष के दिन पशु – पक्षियों को भोजन और पानी देना शुभ मना जाता है |
7- पितरो को प्रसन्ना करने के लिए ब्राह्मणो को भोजन कराया जाता है भोजन पूर्ण सात्विक ब्राह्मणो को करना चाहिये और उनका आशीर्वाद भी ले |
8- श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को 15 दिनों तक बाल वा नाख़ून नहीं काटना चाहिए और साथ ही ब्रह्माचर्य का पालन करना चाहिए |
9- मान्यता है की पितृ पक्ष के दिन कौओ को खाना खिलाना चाहिए इससे पितर खुश होते है |
आइये जानते है पितृ दोष निवारण मन्त्र
ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः
ॐ प्रथम पितृ नारायणाय नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाये
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