एक राजा था , उसका बहुत बड़ा राज्य था | एक दिन राजा को महल के बहार नगर मे घूमने का विचार आया और वह घूमने नीकल पड़ा | जब वह वापस लौट कर अपने महल मे आया तो बहुत ही दुखी था और अपने मंत्रियो से अपने पेरो के दर्द के बारे मे सीकायत किया | राजा का कहना था की जो रास्ते मे कंकर , पथर थे वे उसके पेरो मे चुभ गए और इसके लिए कुछ इंतजाम करना चहिये |
लेकिन किसी को भी राजा को मना करने की हीम्मत नहीं देखाई दिया | यह तो सब को पता था की इस काम के लिए बहुत सारे पैसो और समय की जरुरत थी , लेकिन फिर भी किसी ने कुछ नहीं कहा |
फिर कुछ देर सोच विचार कर राजा ने अपने मंत्रियो को आदेश दिया की नगर के सारे रस्ते चमडा से ढक दिया जाये | राजा का ऐसा आदेश सुनकर सब हैरान हो गए | इस पर राजा के एक बुद्धीमान मंत्री ने एक रास्ता निकाला , उसने राजा के पास जाकर बोला – मे आप को एक सुझाव देना चाहता हु , जिससे आप का काम भी हो जायेगा और पैसो की बर्बादी भी नहीं होगी | राजा बहुत आशार्य्चाकित था क्युकी किसी ने उसकी आदेश के खिलाफ जाकर बोला था |
फिर राजा ने कहा – बोलो क्या सुझाव है , इस पर मंत्री ने कहा – नगर के सारे रास्तो को चमड़े से धकवाने से अच्छा है की आप के लिए एक चमड़ा का जूता बनवा दिया जाये | राजा ने मंत्री का सुझाव मान लिया और उसकी खूब प्रसंसा किया | क्युकी मंत्री ने राजा का सारा पैसा बचा दिया था |
यह कहानी हम लोगो को एक मत्वपूर्ण शीक्षा देती है की हमें हमेसा ऐसे हल के बारे मे सोचना चाहिए जो ज्यदा उपयोगी हो |