वर्षों पहले की बात है…. एक नगर में एक राजा रहता था । वह प्रजा के साथ-साथ ,पशु – पक्षियों एवं जानवरों को भी बहुत प्यार करता था। उनको पालने का राजा को बहुत शौक था। जो जानवर राजा को पसंद आ जाता था उस वह अपने महल में रखवा दिया करता था।

राजा के महल के बगल में एक बहुत बड़ा बागवानी था। उसमें एक बुलबुल बहुत ही सुरीली आवाज में गाना गाया करती थी। बुलबुल की सुरीली आवाज सुनकर राजा को बहुत ही आनंद आता था। उसकी सुरीली आवाज राजा को इतनी ज्यादा पसंद हो गई कि उसने अपनी मंत्री को उस बुलबुल को पकड़कर लाने का आदेश दिया । मंत्री अपने सैनिकों के साथ दिन भर मेहनत किया और अंत में उस बुलबुल को पकड़कर एक पिंजरे में बंद कर कर के राजा के सामने लाया।

पिंजरे में कैद होने से बुलबुल बहुत ही ज्यादा उदास हो गई। अब वह सही से गाना बंद कर दी साथ ही खाना पीना भी छोड़ दी।

यह देखकर रानी को बहुत दया आया और एक दिन उन्होंने उस बुलबुल को उस पिंजरे से आजाद कर दिया। अब बुलबुल की आवाज ना सुन कर राजा बहुत उदास रहने लगा। धीरे-धीरे वह बीमार पड़ गया और बिस्तर पर ही लेटा रहने लगा।

एक दिन बुलबुल रानी के उपकार को चुकाने के लिए महल में आई और खिड़की पर बैठकर गाना गाने लगी। यह सुनकर राजा बहुत खुश हुआ। अब वह बुलबुल रोज शाम को राजा और रानी के कमरे की खिड़की पर आती और गाना गा कर चली जाती थी। बुलबुल की आवाज सुनकर राजा धीरे-धीरे स्वस्थ हो गया। अब राजा को भी समझ में आ गया था कि बुलबुल जब पिजड़े में बंद थी, तब वह अच्छे से गाना क्यों नहीं गाती थी।क्युकी स्वतंत्रता बहुत ही अनमोल चीज होती है। जो सबको बराबर रुप से मिलनी चाहिए।

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