एक राजा का बहुत ही बड़ा बागवानी था। बागवानी में एक बरगद का पेड़ था। बरगद के पेड़ पर एक कौवा अपनी पत्नी के साथ बहुत समय पहले से रह रहा था ।

उसी पेड़ के नीचे एक सांप का बिल था,जिसमे एक बहुत ही दुष्ट सांप रहता था। कुछ समय बाद कौवा के पत्नी ने अंडे दिए। एक दिन भोजन की तलाश में कौवा और उसकी पत्नी अपना घोंसला छोड़कर बाहर चले गए। मौका देखकर सांप ने कौवे के अंडों को खा गया।

वापस आकर कौवा और उसकी पत्नी ने अपने अंडे को ना पाकर बहुत दुखी हुए , मगर उन्हें समझ में नहीं आया कि आखिर उनके अंडे कहां गए।

कुछ महीने बाद कौवे की पत्नी ने फिर अंडा दिया। इस बार जब कौवा और उसकी पत्नी खाने की तलाश में बाहर गए, तभी सांप ने मौका देख कर कौवे के अंडे को खाने लगा। तभी कौवे की पत्नी वहां पर आकर सारा मजारा देख ली। उसने शाम को रोते हुए अपने पति से सारी बात बताई। अब कौवा उस सांप को मारना चाहता था और उससे हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहता था।

यही सोच कर उसने एक दिन जब राजा की रानी जलाशय में नहा रही थी, तभी उनका हार चुराकर भाग गया। कौवे को हार चुराते हुए सैनिकों ने देख लिया और उसका पीछा किया। कौवे ने रानी का हार ले जाकर सांप के बिल में डाल दिया। सैनिकों ने बिल की खुदाई की और उन्हें उस बिल में हार के साथ एक सांप मिला। सैनिकों ने सांप को मार डाला और रानी का हार लेकर चले गए।

कौवे ने अपनी समझदारी से सांप से छुटकारा पा लिया । अब कौवा और उसकी पत्नी आजादी से उस पेड़ पर रहने लगे। अब उनके बच्चों को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाता था, क्युकी वह दुष्ट सांप अब मर चुका था।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published.