एक जंगल में एक बहुत ही ज्ञानी साधु का कुटिया था। साधु लोगों को उपदेश दिया करते थे कि ” कण-कण में भगवान का वास होता है भगवान हर जगह मौजूद होते हैं और वह हमारी रक्षा करते हैं!”

एक दिन की बात है साधु एक रास्ते से गुजर रहे थे। रास्ते में उनको एक व्यक्ति मिला और उसने साधु से कहा –”हे महात्मा! आप इस रास्ते मत जाइए! क्योंकि रास्ते में आगे एक बहुत ही बिगड़ैल बैल है। वह रास्ते में आने वाले मुसाफिरों को बेवजह मारा करता है। साधु ने उस व्यक्ति से कहा–” तुम्हें शायद पता नहीं है , कण-कण में भगवान का निवास होता है। उस बैल में भी भगवान है। मैं उस बैल से नहीं डरता।”

यह बोलकर वह साधु आगे जाने लगे। कुछ दूर जाने पर वह बिगड़ैल बैल साधु पर हमला कर दिया और उन्हें घायल कर दिया। किसी तरह से साधु अपनी जान बचाकर अपनी कुटिया में वापस पहुंचे और सोचते लगे ” मैं बहुत ही गलत था कि कण कण में भगवान को मानता था! ऐसा बिल्कुल सत्य नहीं है।”

तब वहां भगवान प्रकट हुए और उस साधु से बोले–” तुम्हारा विचार बिल्कुल सत्य था! कण-कण में मैं निवास करता हूं!”

साधु ने भगवान से कहा–”अगर आप कण कण में निवास करते तो वह बैल मुझे क्यों मारता?”

तब भगवान ने कहा– ” मैं उस व्यक्ति के अंदर भी था, जिस व्यक्ति ने तुम्हें उस रास्ते से जाने के लिए मना किया था। अगर तुम उसकी बात मान लेते तो उस दुष्ट बैल से बच सकते थे। ”
अब साधु को समझ में आ गया था कि सचमुच भगवान कण-कण में निवास करते हैं।

ठीक इसी प्रकार से दोस्तों हमारे जीवन में भी अगर हम छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दें तो हम बहुत ही बड़ी बड़ी समस्याओं से बच सकते हैं।

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