एक शहर में अमन नाम का एक छोटा सा लड़का रहता था। उसको बात बात में बहुत ही ज्यादा गुस्सा आता था और उस गुस्से में जो भी सामान वह पाता उसे तोड़ फोड़ कर बर्बाद कर देता था। उसकी गुस्से वाली हरकत से उसके माता-पिता बहुत ही परेशान थे। वह अपनी बेटे को सुधारना चाहते थे मगर दिन प्रतिदिन उसका गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था।

एक दिन अमन के पिता उसके पास आए और बोले-” बेटा अब जब भी तुमको गुस्सा आए तुम बगल वाले कमरे का फर्श तोड़ना चालू कर देना। जब तुम्हारा गुस्सा शांत हो जाए तब उसे छोड़ देना।”

अमन ने ठीक वैसा ही किया। जब उसे गुस्सा आता तो वह हथोड़ा लेकर कमरे का फर्श तोड़ने लगता। कुछ दिन बाद उसका गुस्सा कम हो गया। धीरे धीरे अमन ने पूरे घर का फर्ज तोड़ डाला। मगर अब उसका गुस्सा बहुत ही ज्यादा कम हो गया था।

एक दिन उसके पिता उसके पास आए और कहे-” बेटा चलो देखा जाए तुमने क्या किया है!”

वह अमन को लेकर उस कमरे में गए जिस कमरे का फर्श अमन गुस्से में तोड़ा करता था। वह कमरा एकदम बदसूरत हो गया था। अमन के पिता ने कहा-” देखो बेटा! तुम्हारे गुस्से ने इस कमरे का क्या हाल कर दिया? एक अच्छे खासे सुंदर कमरे का पूरा चेहरा ही बिगाड़ कर रख दिया।”

अमन ने कहा-” पिताजी! जब मैं गुस्से में फर्श को तोड़ता था तो मुझे भी लगता था कि मैं गलत कर रहा हूं। इसलिए मैंने धीरे-धीरे अपने गुस्से पर काबू करना सीख लिया।”

उनके पिता ने कहा-” बहुत ही अच्छा बेटा! तुमने अपनी आंखों से खुद देखा कि तुम्हारे गुस्से ने हमारा कितना नुकसान किया इसी तरह अगर भविष्य में भी तुम गुस्सा करोगे तो तुम्हें बहुत ही ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि गुस्से में किया गया कार्य हमेशा ही गलत होता है! इसलिए तुम्हें अपने गुस्से पर नियंत्रण करके अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके आगे के जीवन का सफर तय करना होगा।”

अमन ने अपने पिता की बातों को बहुत ही गहराई से सुना। उसके बाद धीरे-धीरे अमन का गुस्सा खत्म हो गया। वह एक समझदार और अच्छा लड़का बन गया।

दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें गुस्सा नहीं करना चाहिए क्योंकि गुस्से का परिणाम हमेशा ही नुकसानदेह होता है।

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