बहुत समय पहले की बात है की एक जंगल मे नदी के किनारे एक बन्दर और एक मगरमच्छ रहता था | बन्दर जंगल के मीठे फल को खाता रहता था और हमेसा मस्त रहता था | एक दिन मगरमच्छ के दिमाग मे आईडिया आया की यह बन्दर इतना मीठा फल खाता है , तो इसका कलेजा कीतना मीठा होगा | उसने बन्दर के कलेजे को खाने का प्लान बनाया |
एक दिन जब बन्दर नदी के किनारे आया तो मगरमच्छ ने उसको लोभ दिया और बोला भाई बन्दर नदी के उस पार बहुत ही सुन्दर और मीठे फल के पेड़ है | बंदर ने पूछा आप को कैसे पता तो मगरमच्छ ने जबाब दिया की मैंने वहाँ के बंदरो को फल खाते देखा है | तुम तो मेरे दोस्त की तरह हो , तो मैंने सोचा की तुम को भी बता दू | बन्दर बहुत ही लालची था और कुछ भी करने को तैयार था | उसने मगरमच्छ से बोला की भाई मे उस पार कैसे जाऊंगा , इस पर मगर ने बोला – भाई ये तुम्हारा दोस्त किस दिन तुम्हारे काम आएगा | मे तुम को उस पार लेकर जाऊंगा , बन्दर बहुत की खुश हुआ | वह जाकर मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया और बोला चलो दोस्त | मगरमच्छ जब नदी के बीच मे पंहुचा तो रुक गया और बोला तुम इतने मीठे फल खाते हो तो तुम्हारा कलेजा भी खूब मीठा होगा | मैं तुम्हारा कलेजा खाना चाहता हु | बन्दर दर गया और बोला भाई मुझको माफ़ कर दो और मुझको चोर दो , लेकिन वह नहीं माना | बन्दर मन ही मन सोचने लगा काश मैंने कोई लालच नहीं किया होता तो आज जिन्दा होता |