old father story in hindi

रामगोपाल शहर में नौकरी करता था और अपनी पत्नी के साथ वही रहता था | एक दिन उसके पिता जी भी उसके पास पहुंच गए , पहले तो रामगोपाल और उसकी पत्नी बहुत ही खुश हुए | लेकिन जब उनको मालूम पड़ा के पिता जी अब यही रहेंगे तो उनको बहुत ही चिंता होने लगी | उनके पास एक रूम और किचन के साथ बरामदा था | रात को सब लोग डिनर बारामदे में ही करते थे , रामगोपाल के पिता जी कभी कुर्सी पर बैठ कर खाना नहीं खाया था | इसलिए जब भी वो उनके साथ डिनर करते तो बहुत ज्यादा खाना टेबल पर गिर जाता और कभी – कभी तो डिनर से प्लेट गिर जाती और टूट जाती थी | कुछ दिनों तक तो यह सब रामगोपाल और उसकी पत्नी ने बर्दास्त किया लेकिन एक दिन उसकी पत्नी बोली यह रोज – रोज नहीं चल पायेगा | रामगोपाल और उसकी पत्नी ने अपने पिता जी के लिए लोहे का थाली बनवा दिया और उनको अब अलग किचन में ही बैठाकर खिलाते थे और जब मन करता कुछ भी बोल देते | लेकिन बूढ़ा बाप क्या करे चुप – चाप सुनता रहता था |

समय बीतता चला गया और एक दिन रामगोपाल के बेटे ने पूछा आप लोग दादा जी को लोहे की थाली में क्यों खाना देते है | इस पर रामगोपाल ने कहा – तुम्हारे दादा जी अब बूढ़े हो गए है और हर रोज एक थाली तोड़ देते है , इसलिए उनको अलग से लोहे की थाली में खाना दिया जाता है | इसके बाद रामगोपाल के बेटे ने जवाव दिया की जब आप दोनों लोग बूढ़े हो जावोगे तो में आप लोगो के लिए इससे भी अच्छी लोहे की थाली लाऊंगा | यह सुनकर रामगोपाल और उसकी पत्नी को बहुत अफ़सोस हुवा | उसी दिन से उनलोग ने अपने पिता जी की लोहे की थाली फेक दिया और सब लोग फिर से साथ में खाना खाने लगे |
इस कहानी से हम लोगो को यही सीख मिलती है की हम अपने बड़ो के साथ जैसा करेंगे , हमारे छोटे भी वैसा ही हमारे साथ करेंगे | कहानी आप लोगो को कैसी लगी कमेंट करके जरूर बातये

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