ज्ञान और अनुभव कोई भी नही छीन सकता है
एक बार एक राजा किसी पंडित से नाराज़ हो गया और उसने अपने सिपाहियो से बोला -इस पंडित की सारी संपति नीलम करवा दो , जो पैसा मिले उस को राज कोष मे जमा किया जाए|
राजा की नाराज़गी से वह पंडित बहुत दुखी हुआ और घबरा गया ,जैसे – तैसे घर जाकर अपने पत्नी से बोला-कल राजा हमारी सारी संपति नीलम करवा देगा , अब हम क्या करेंगे |
पंडित जी की पत्नी उनके समान पढ़ी-लिखी नही थी,फिर भी वह चालक थी | उसने पति को समझाने के उद्देश्य से कहा- क्या कल राजा आपको भी बिकवा देंगे ?
पंडित जी वैसे ही दुखी थे ,अपनी पत्नी को ऐसे टाइम मे ऐसे सवाल का उत्तर देने मे वह चिढ़ गये और बोले-तुम तो पागल हो , राजा संपति ही नीलम करवायगे, मुझे क्यू बिकवा देंगे भला ?”
यह सुनकर पंडित की पत्नी ने बोला – तो क्या मुझको और बच्चो को नीलम करवायंगे ? यह सुनकर पंडित जी और परेसान हो गये , लेकिन अपने गुस्से पर नियंत्र कर बोला – नही तुम लोगो को भी नही |
पत्नी ने फिर बोला- तो क्या आप के अनुभव , ज्ञान ,और सद्गुरो को भी वह नीलम कर देंगे ?
पंडित जी पत्नी की नादानी पर सिर पीटते हुए बोला- इनको तो राजा क्या कोई भी नही कर सकता है |
पंडित जी के जबाब देते ही वह बोली-तो फिर हमे क्या डर है ? जब हमारे भीतर अमूल्य रत्न है ,हमारे पास वो हमेसा बने रहेंगे , तो यह संपाति भले ही चली जाए , इसका क्या दुख करना ?
पत्नी की बाते सुनकर पंडित जी की आँखे खुल गयी ,अब उनको यह पता था की उनके पास ऐसा अमूल्य रतन है जो कोई भी नही छीन सकता है|
तो दोस्तो हमारे ज्ञान को कोई भी नही छीन सकता है , इसलिय हॅमेसा अपने ज्ञान और अनुभव को खुब increase करो |